TWO LINE SHAYARI FOR WHATSAPP #012
मुझे उसकी ये मासुम अदा बहुत भाती है,,
नाराज मुझ से होती है और गुस्सा सबको दिखाती है
बस तेरी याद मैं ज़ी रहे है ज़िन्दगी
ओर खेल रहे है धुएँ से हर दम।।।।
सुनो तुम्हारा साथ खरीदने के लिए,
मै रोज़ थोड़ीशी जिदंगी बेच देता हु..,,
अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी;
तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए।
दीदार-ऐ-चैन देकर, बेचैन कर देती हो।
हो तो शबनम,मगर आग लगा देती हो।।
आज फिर पल खूबसूरत है,
दिल में बस तेरी ही सूरत है..
चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिए हुजुर,
इश्क़ की राह में मनमर्जियाँ नहीं चलतीं !
हमें क्या पता था जिंदगी इतनी अनमोल है,
कफन ओढ़ के देखा तो नफरत करनेवाले भी रो रहे थे !
बाज़ार के रंगों से मुझे रंगने की ज़रूरत नही..
तेरी याद आते ही ये चेहरा गुलाबी हो जाता है…
वो शाम का दायरा मिटने नहीं देते ,
हमसे सुबहे का इंतज़ार होता नहीं है ।
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