TWO LINE SHAYARI FOR WHATSAPP #014
मुझे उन आंखों मे कभी आंसु अच्छे नही लगते
जीन आंखों मे मै अकसर खुद के लिये प्यार देखता हुं
मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता..
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है,
न चाहते हुये भी कोई शिद्दत से याद आता है…
राज़ खोल देते हैं नाज़ुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबां होती है.
अब चार दिनों की छुट्टी है और उनसे जाकर मिलना है
सागर से मिलेगी जब नदिया, बादल की तरह बरसना है।
छूह लो तुम यूं ज़रा सा,,
कि मैं मर भी जाऊं तो मुझसे तेरी खुशबू आये…! ….
ना-उम्मीद सी हो रही है सब उम्मीदें…!”
“दिल था किसी दिन तेरे सीने से लगकर जी भर के रोने का_______
काश दिल की आवज मै इतना असर हो जाये……
हम याद करें,और ऊनको खबर हो जाये…………!!
मनाने आ ही जायेगा,मेरा नाराज लहज़ा वो….
इसी उम्मीद पर बेवज़ह, रूठा भी करते हैं…!!
तुम्हारे” होगें चाहने वाले बहुत इस “कायनात” में,
मगर इस “पागल” की तो कायनात ही “तुम” हो
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